*”गणेश जी का आत्मिक दर्शन “*
***”ॐ गणपतये नमः”***
“गणेश जी का आत्मिक दर्शन”
मांगलिक कार्यों को आरंभ करने से पहले श्री गणेश जी की आराधना महत्वपूर्ण व अनिवार्य मानी जाती है गणेश जी को अनेक नामों से पुकारा जाता है गणराज , गणपति बप्पा, लम्बोदर महाराज, विनायक ,गजानन महाराज, आदि नामों से पूजा अर्चना की जाती है।
शंकर सुमन शिवनंदन उनकी उपासना के द्वारा रिद्धि सिद्धि , शुभ लाभ अपने आप सहज रूप से ही प्राप्त हो जाते हैं।
सद्बुद्धि के दाता विध्न हरण बाधाओं को दूर करने के लिए एवं संपूर्ण मनोरथों को पूरा करते हैं इन्हें विध्न विनाशक भी कहा जाता है शिव शंकर , पार्वती के दुलारे पुत्र हैं ये सभी को ज्ञातव्य है माता पार्वती जी के उबटनों से जो मैल निकला था उसी मैल से उत्पन्न हुए जीवन संचारित कर पार्वती जी ने अपना पुत्र बनाया था और घर के द्वार पर पहरेदार बैठाकर किसी को घर के अंदर प्रवेश ना करने देने का आदेश दिया था किन्तु गणेश जी अपने पिता शिव शंकर जी को भी घर के अंदर प्रवेश नहीं देने के कारण शिवजी क्रोधित होकर गणेश जी का मस्तक काट गिराया , माता पार्वती जी को जब पता चला तो माँ पार्वती दुःखी हुई शिव जी से रुष्ट हो गई बहुत समझाने के बाद शिव जी ने पुनः गणेश जी को जीवित कर हाथी का सूंड लगाकर जीवनदान दिया था वही बालक गणेश जी के रूप में विद्यमान पूज्यनीय हैं।
सर्वप्रथम शुभ मांगलिक कार्यों में प्रथम पूजनीय हैं किसी भी विध्न, कष्ट ,विपत्तियां आ जाने पर गणेश जी ही सभी कार्यों को जल्द ही पूर्ण रूप से सफल करते हैं।
गणेश जी जामुन के वृक्ष पर निवास करते हैं वैसे अकौवा याने श्वेतार्क में भी विराजमान रहते हैं इनका प्रिय रंग लाल है प्रसाद में लड्डू , मोदक बहुत ही भाता है इनका वाहन – चूहा पे सवारी होती है प्रिय चीज हरी दूर्वा भी है, प्रिय भक्त – जो सभी चीजें प्रेमभाव से अर्पित कर दे या ना भी कर सके फिर भी जल्दी से प्रसन्न हो जातें हैं शिव शंकर की तरह से भोले भाले से हैं।
लंबी सूंड ,लंबे सूप जैसे कान,बड़े उदर वाले ,छोटे हाथों वाले , छोटा सा मूषक
वाहन, छोटी से मदमस्त नैन इन सभी सुंदरता को देखते हुए गणेश जी की पूजन अर्चना करते हुए मन बहुत ही प्रफुल्लित हो जाता है और छोटे बच्चे बड़े बुजुर्गों सहित खुशियों से झूमने लगते हैं।
जब हम गणपति बप्पा जी को घर में विराजित करते हैं तो एक रौनक सी छा जाती है माहौल परिवर्तन हो जाता है मन मे उमंगों से अच्छी बातों का समावेश होने लगता है सारे दुःख कष्ट अपने आप दूर होने लगते हैं जब गणपति बप्पा जी पधारे हैं तो चिंता ,परेशानियों को हर लेते हैं
सुबह उठकर गणपति बप्पा जी के दर्शन करना उनके सामने शीश झुकाते हुए वंदन करना सुगंधित पुष्पों की माला पहनाकर श्रृंगार करना मोदक ,लड्डू ,चूरमा का प्रसाद चढाना, आरती उतार कर विनती करना बेहद रोमांचित लगता है और अंत मे दामन फैलाकर दोनों हाथ जोड़कर क्षमा याचना करना कि हम सभी को सद्बुद्धि सदमार्ग पर चलाते हुए सारी दुनिया की समस्याओं का निवारण करते हैं।
गणेश जी का परिवार में दो पत्नियाँ रिद्धि सिद्धि बांये दांये विराजमान रहती है शुभ – लाभ दो बेटे जो जीवन में शुभ लाभ देते रहते हैं आनंद – प्रमोद उनके पोते एवं तुष्टि ,पुष्टि बहू के रूप में सभी मंगल कामनाओं को पूर्ण करते हैं।
गणेश जी के पूजन करते समय उनके अंगों को फूलों से स्पर्श करायें ।
1 चरणों में
2 घुटनों में
3 अरु में
4 कमर में
5 . नाभि में
6 .उदर में
7 .स्तनों में
8 .हॄदय में
9 . कंठ में
10. कंधों में
11. हाथों में
12 . मस्तक में
13 .सिर में
समस्त अंगों को स्पर्श कर उनके अदभुत रूपों के साक्षत दर्शन करें ।
गणपति बप्पा जी हमारे ऋण मोचक भी कहलाते हैं जो हमारे पुराने ऋण कर्ज को चुकाने के लिए हमारे घर दर्शन देने के लिए पधारते हैं गणपति बप्पा जी के दर्शन से जो हमें बहुत कुछ लाभ मिलता है।
*दूर्वा – दूर्वा चढ़ाने से गणपति बप्पा जी हमारी समस्याओं को दूर करते हैं दूर्वा का प्रतीक जितना जमीन के अंदर रहता है उतना ही जड़ के रूप में बाहर भी दिखाई देता है दूर्वा चढ़ाने से गणपति जी का मस्तक ठंडा रहता है।
* आँखें – गणपति बप्पा जी की आंखें छोटी छोटी सी सूक्ष्म होती है जो दूरबीन की तरह से दूर दूर तक छिपी हुई अच्छाइयों व बुराइयों को देखते रहते हैं।
*कान – गणेश जी के कान बड़े बड़े सूपों (सूपड़ा) के जैसे प्रतीक माना गया है ताकि भक्त कहीं से भी खड़े होकर आवाज लगाये तो उसे सुन सकते हैं और यह अर्थ भी है कि सूपड़ा में जैसे अनाज फटकते हुए बेकार की चीजें बाहर निकाल फेंकता है और अच्छी चीजों को सूपड़ा में ही रह जाती है इसलिए गणेश जी के कान बड़े होते हैं।
*सूंढ़ – हाथी का मस्तक होने के कारण सूंढ़ इतने लंबे होते हैं जिससे वे हमारी सारी गल्तियों को अपनी सूंढ़ के द्वारा खींचकर पेट में रख लेते हैं अर्थात बुराइयों को खींचकर अच्छाईयां प्रदान करते हैं।
*उदर – गणेश जी का उदर याने पेट इतना बड़ा है जिसमें सारे जगत की बुराईयां समाहित किये हुए हैं इसलिए उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है सभी भक्तों की बुराइयों को उदर में रख लेते हैं।
*हाथ – गणेश जी के हाथों में हमेशा मीठे चीजें याने लड्डू ,मोदक ही होता है क्योंकि वे चाहतें हैं कि हम सभी सदैव मीठी वाणी बोलें और जुबान पर मिठास घुलती ही रहे ।
गणपति बप्पा जी इतने दिनों तक घर पर विराजमान रहते हैं तब तक खुशियों का माहौल बना रहता है लेकिन विदाई की घड़ी निकट आते ही आंखों से अश्रुधारा बहने लगती है महाराष्ट्र के मोरिया स्वामी जी की अनंत भक्ति को देखते हुए सभी उन्हें देव देव पुकारने लगे थे मोरिया जी ने मयूरेश्वर “गणपति बप्पा मोरिया ”
शब्द का जयघोष लगाया था जो आज गणेश जी के विदाई होते समय हरेक व्यक्ति के जुबान पर सुनाई देता है ” गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आना “का जयकारा लगाते हैं गणपति बप्पा जी नश्वरता का प्रतीक है उनका आगमन उनकी पूजा अर्चना आराधना हमें यह याद दिलाता है कि जैसे वो हर साल आतें हैं और चले जाते हैं वैसे ही हमारे जीवन मे सुख दुःख भी आते हैं और क्षण भर में चले जाते हैं कहने का आशय यह है कि दुनिया में सभी कुछ क्षणिक नश्वर है ……
गणेश जी सभी भक्तों का कल्याण करते हुए चले जाते हैं उनके बिना कार्य सफल नही हो सकता है लेकिन मूर्ति को विसर्जित करने से पहले अपने मन के अवगुणों दोष विकारों को भी विसर्जित करना चाहिए ताकि हमने अपने जीवन में हर साल जो भी गणपति बप्पा जी से प्राप्त किया है उसे आने वाले साल में नया सृजन करने के लिए प्रेरणास्रोत बने ही रहे।गणेश जी की पूजा अर्चना को सार्थक प्रयास के द्वारा प्रतिक्षण आगे बढ़ते हुए आनंद मंगल स्वरूपों को निहारते नए कार्यों को दिशा प्रदान करते रहें हमारा जीवन शुभ कार्यों से लाभान्वित हो सके …..
ऐसी कामनाओं के साथ हम सभी भक्तगण ..!!!
***शशिकला व्यास ***
“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विध्नं कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा।।