गणेश जन्म की कथा
दोहा छंद
वृद्ध ब्राह्मण वेश में, कृष्ण उमा के पास।
हाथ जोड़ कहने लगे, माँ करना विश्वास ।।
कल्प कल्प में कृष्ण ही, पुत्र रूप अवतार।
शीघ्र पुत्र ही आपके ,पूज्य रहे संसार ।।
अंतर्ध्यान विप्र हुए, शय्या प्रकट गणेश ।
सुंदर बालक रूप में ,सूर्य प्रभा सम केश।।
दर्शन करते देव ऋषि, देते सब उपहार ।
शनि देव संकुचित खड़े, मन में खुशी अपार।।
पूछ रही माँ पार्वती ,आया है जिस काज।
दर्शन करता क्यों नहीं, कपट कौन मन आज।।
बार बार कहती उमा, शनी बताया राज।
एक न मानी पार्वती, दृष्टि पड़ी ज्यों गाज।।
दृष्टि पड़ते शीश कटा , जग में हाहाकार।
विष्णू काटा शीश गज, जोड़ हुई जयकार ।।
यही ब्रह्म पुराण कथा, लिखी खूब विस्तार ।
नाम गजानन पड़ गया , श्री गणेश अवतार।।
राजेश कौरव सुमित्र