गणतंत्र
आया है गणतंत्र फिर, पहने नव परिधान।
स्वागत में ऋतु राज भी, गाते मंगल गान।।
गाते मंगल गान, प्रकृति करती अगुवानी।
जड़ चेतन भी आज, स्वयं स्वागत की ठानी।।
नवल वसंती रंग, वसन माँ को पहनाया।
केसर कुमकुम थाल, साथ रवि लेकर आया ।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली