Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 2 min read

गणतंत्र का तिहत्तर बटा एक और साल

गणतंत्र का तिहत्तर बटा एक और साल
Mere Alfaz
सुना हम,
पूरी दुनिया से बेहतर हैं
वेदों पुराणों शास्त्रों,ऋषि-मुनियों की संतानें हैं
मर्यादा पुरुषोत्तम की वंशावली,
वासुदेव केशव कृष्ण के रहबर,
गीता कुराण बाइबिल गुरुग्रंथ के अनुयायी,
सुना हम ब्रह्मा विष्णु शंकर
गौरा पार्वती जानकी के वंशज हैं।

सुना हम,
तैंतीस करोड़ देवी देवताओं के उत्तराधिकारी हैं
जम्बूद्वीपे आर्यावर्ते भरतखण्डे भारतवर्षे के
हम ही रक्षक और हकदार हैं
गंगा जमुना सरस्वती सिन्धु सतलज नर्मदा कावेरी के,
हम ही तो उपासक हैं।

सुना हम,
लज्जावन मर्यादावान धर्मावलम्बी हैं
सती सावित्री की परम्पराओं वाले
श्रवण कुमार की मातृपितृ सेवाधारा वाले
यहाँ मातृपितृ देवसम, माँ बहन नारी देवी तुल्य।

सुना हम,
सर्वश्रेष्ठ हैं स्वतंत्र हैं जनतंत्र हैं
हमें गर्व है अपनी आजादी पर,
गर्व है प्राण निछावर करने वालों लाखों पर,
मंगल पाण्डे लक्ष्मीबाई भगतसिंह से लेकर
राष्ट्रपिता बापू गांधी पर।

सुना हम,
बहुत हद तक विश्वशक्ति बन गये,
अशेष बनने वाले हैं।

किन्तु देखा,
हम ही सर्वश्रेष्ठ भ्रष्ट भी हैं
रोग-भुखमरी-गरीबी से त्रस्त भी,
लज्जा के परदों आडम्बरों घूंघटों में,
औरत को छुपाने वाले
हम ही सर्वाधिक बलात्कारी भी हैं
मछलियों मच्छरों कीड़ों की तादाद में,
संतानें भी हम ही पैदा करते हैं
कहीं टीवी अखबारों में कंडोम के नामपर,
अश्लील नग्न विज्ञापनों से कमाई में इजाफा
वहीं झुग्गी से कोठियों तक पैदाइश में इजाफा
कहीं गरीबी है कहीं धर्म है कहीं शर्म है
दस-दस फीसदी की तादात में बढ़ता,
मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति भूमि का भार।

और देखा,
दुनिया की सर्वाधिक हत्याएं
दुनिया के घिनौने अपराध
काले धंधों से काले धन के हम अंबार
रिश्वत लेने-देने में हम उस्ताद
कहीं पुरातन वेद पुराणों के वक्ता व्यापारी
कहीं नग्न-दर-नग्न नाचता समाज,
अंगूठा छापों से लेकर साक्षरों को,
पाँच साल में एक बार
पव्वा, कंबल, पाँच का नोट चाहिए,
सियासती शहंशाओं को सिर्फ वोटर
बेसुध अनगिनत अंगूठा छाप चाहिए,
दिन-दिन बढ़ती सवा सौ करोड़ की भीड़
किसे सुध स्वच्छ निर्मल भारत की,
गंगा यमुना निर्मल संस्कृति मर्यादा की
किसे जरूरत नसबंदी-नशाबंदी की
किसे फिक्र अगली आदम पीढ़ी की
किसे पीड़ा अगले दशक, अगली सदी की,
कहाँ ग्लोबल वार्मिक कहाँ मानव सभ्यता
अपनी ढपली, अपना राग।

और देखा,
यूरोप से अमेरिका जापान तक
आज हम सबके प्यारे,
हम ही दुनिया का बाजार, ग्राहक सारे
अखरेंगे दुनिया को ‘मेक इन इण्डिया’ जैसे नारे
लाखों यहाँ निर्धान लाचारी में आत्महत्या कर लेते
करोड़ों यहाँ दूसरों के कोल्हू पर,
जीवन भर पसीना बहाते मर जाते
दाल रोटी लिबास पर ही एक तिहाई मर जाते।

और देखा,
इस समाजवादी जनतंत्र में मुठ्ठी भर लोग
ड्रॉइंग रूम की तरह साफ सुथरी शक्लें सजाकर,
अंतर्राष्ट्रीय शान बन जाते
महानगरों में हम ब्रिटेन अमेरिका से आगे
गाँवों कस्बों में, इथियोपिया अफ्रीका से पीछे
मुखैटों का फरेबी फेरा, दीपक तले अंधेरा,
खूब याद हैं संविधान प्रदत्त मूल-अधिकार हमें,
पर कहां मालूम मूल- कर्तव्य हमें।

ऐसा है आज,
सोने की चिड़िया मेरा भारत महान
मुबारक हो हमें
अपनी ही आदतों का ये हश्र, ये हाल
मुबारक हो हमें,
स्वतंत्रता का चौहत्तर बटा एक और साल।
-✍श्रीधर.

57 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shreedhar
View all
You may also like:
सफलता की ओर
सफलता की ओर
Vandna Thakur
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुक़ाम क्या और रास्ता क्या है,
मुक़ाम क्या और रास्ता क्या है,
SURYA PRAKASH SHARMA
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
Manju sagar
अल्फाज़
अल्फाज़
Shweta Soni
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
इतने दिनों के बाद
इतने दिनों के बाद
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
VINOD CHAUHAN
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
कभी-कभी कोई प्रेम बंधन ऐसा होता है जिससे व्यक्ति सामाजिक तौर
DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
बहुत दोस्त मेरे बन गये हैं
बहुत दोस्त मेरे बन गये हैं
DrLakshman Jha Parimal
पल
पल
Sangeeta Beniwal
मिस्टर मुंगेरी को
मिस्टर मुंगेरी को
*प्रणय प्रभात*
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
चाय की घूंट और तुम्हारी गली
Aman Kumar Holy
सबका नपा-तुला है जीवन, सिर्फ नौकरी प्यारी( मुक्तक )
सबका नपा-तुला है जीवन, सिर्फ नौकरी प्यारी( मुक्तक )
Ravi Prakash
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
Ranjeet kumar patre
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
समाज और सोच
समाज और सोच
Adha Deshwal
*अविश्वसनीय*
*अविश्वसनीय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अन्तर्मन
अन्तर्मन
Dr. Upasana Pandey
हे दिल तू मत कर प्यार किसी से
हे दिल तू मत कर प्यार किसी से
gurudeenverma198
2527.पूर्णिका
2527.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"ताले चाबी सा रखो,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
!! वीणा के तार !!
!! वीणा के तार !!
Chunnu Lal Gupta
गुड़िया
गुड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
कहानी, बबीता की ।
कहानी, बबीता की ।
Rakesh Bahanwal
गरीबों की जिंदगी
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
यही है हमारी मनोकामना माँ
यही है हमारी मनोकामना माँ
Dr Archana Gupta
"मैं तुम्हारा रहा"
Lohit Tamta
Loading...