गढ़वाली दोहे -1 | मोहित नेगी मुंतज़िर
चूणु कुडू धार कू ,बांजा पडयू घराट
गौ कु बाटू देखणु , दगड़िया तेरी बाट।
पुन्गडी पाटली सूख गिन ,खाली पड्यां गुठयार
फेडयू मां कांडा जमयां ,सड़गिन द्वार तिवार।
उत्तराखंड बणाई की , करि क्या तुमुन बिकास
चाटी पोंझी खाई की , तोड़ी हमारू बिश्वास।
गेल्या बोडी एगी अब ,फूलों कू त्योहार
फ्यूंली का फूलुन सजा , गौं का द्वार द्वार।
आंखऊँ मां सुरमा लगयूं , बणी छपेली बांद
नौ गज का धौंपेला मां , धरती मा उत्र्यु चांद।