गजवा-ए-हिंद
काट दिया कश्मीर जड़ों से
संस्कृति का कर दिया सफाया
गजवा-ए-हिंद का गुप्त एजेंडा
सारी घाटी में फैलाया
जिनका था कश्मीर युगों से
उनको मार भगाया
मारे गए हजारों पंडित
लाखों को बेघर कर डाला
समझ न पाए मंतव्य विषैला
साजिश ने पूरा कर डाला
चुप बैठी थी सरकारें
हैं चुप नेता बुद्धिजीवी
महादोगले बेईमान, टुकड़ों पर पलते परजीवी
छोटी-छोटी घटना पर तूफान मचाने वालों
बात-बात पर मानव अधिकारों का झूठा हनन बताने वालों
शर्म ना आई तुम सबको क्यों काश्मीर पर मौन रहे
मानव अधिकारों को लेकर सिद्धांत तुम्हारे कहां गए खबरदार! गजवा-ए-हिंद का इनका बड़ा एजेंडा है धीरे-धीरे भारत पर कब्जा करने की मंशा है
चेत जाओ अब वीर जवानों
आंखें खोलो अब नादानों
क्या इस पावन धरती पर फिर कश्मीर बनाओगे कश्यप की पुण्य भूमि पर वापस पंडित कर पाओगे
क्या मार पाओगे नाग विषैले, या गजवा-ए-हिंद फैलाओगे