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20 Dec 2017 · 1 min read

गजल

गजल

देख तेरे ही शहर में फिर जिगर रह जाएगा
आज तो ये जा रहा है पर कहर रह जाएगा
फिर न कहना हो गई बरबाद तेरी जिन्दगी
लौटना किसका हुआ है बस लहर रह जाएगा।।

आज हो जिस मोड़ पर पहुँचा जमाना देखना
पूछ लेना इस शहर से क्या शहर रह जाएगा।।

जब किनारे बैठते थे साथ में फुरसत लहरी
पेड़ की छाया वहीं नैना नगर रह जाएगा।।

जिन किताबों में रखे खिलते हमने गुलाब को
ऊन दराजों को कभी तकना पहर रह जाएगा।।

हो सके तो साफ कर लेना गिलाओं की पलक
कागजों पर रंग का चढ़ना उभर रह जाएगा।।

“गौतम” सनम आप से धनवान बनकर खुश हुआ
बाग तो है बागवा का खिल खबर रह जाएगा।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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