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21 Feb 2022 · 1 min read

गजल/ कविता / गजल

हजज मुसद्दस महजुफ
१२२२/१२२२/१२२
गजल
//////
म आँखामा कला देख्दै छु आज
गजलको दुर्दशा देख्दै छु आज ।

कसैको हुन्न कोही अन्तसम्म
निकै दुर्बल जरा देख्दै छु आज ।

सिमानामा बसेको छैन कोही
पुराना छन् ध्वजा देख्दै छु आज ।

अनेकौं छन् बखेडा देश भित्र
नियम कानुन झुटा देख्दै छु आज ।

सडकमा छन् असल मान्छे यहाँका
सदनमा छन् गधा देख्दै छु आज।
• देवी पन्थी / विराटनगर
२०७८/११/०९

Language: Nepali
1 Like · 610 Views
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