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3 Jul 2021 · 1 min read

गउँवों में काँव काँव बा

गउँवों में काँव काँव बा
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा
रहिया चलत डेराला जियरा अइसन भइल दुराव बा
बिगड़त…

मारा-मारी झूठे झगरा
दुःख से भरल मन के गगरा
आफत बीपत कुफुत सगरी
लागे जइसे बइठल पँजरा
बड़ी तेज बा झूठ के धारा सच वाली में ठहराव बा-
बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा

लोगवा बोले मरिचा तरे
सुनि के बतिया जिउवा जरे
साझों-बिहाने होता हाला
कांपे करेजा थर थर डरे
पीपर नीचे बइठि के लोगवा लगा रहल अब दाव बा-
बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा

बेइमानन के लागे नारा
बेईमान बनल आँखी के तारा
भलमनई त बिलखत बाटे
ओकरा उपरा चले आरा
भले-आदमी लोगवा बदे लउकत ना कहीं ठाँव बा-
बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा

इहे सुनाता मारू-मारू
गारी दे लोग पी के दारू
आकाश महेशपुरी का करबऽ
छाती पीटे सं मेहरारू
भइल डाह के धूप घनेरी कहाँ प्रेम के छाँव बा-
बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा

– आकाश महेशपुरी

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