Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2023 · 1 min read

गंगा

गीत

शीर्षक- “गंगा”

भगीरथ अवनि से जा पहुँचे, स्वर्गलोक के द्वार।
देवभूमि से गंगा लाए, तारन को परिवार।।

सुत दिलीप का देख कठिन प्रण, देव हुए तैयार।
तीव्र वेग गंगा का अविरल, बना विकट आधार।।
शिव ने तप से हर्षित होकर, जटा समाई धार।
देवभूमि से गंगा लाए, तारन को परिवार।।

पतित पावनी भू पर उतरी, जगत किया उद्धार।
कर निनाद हिमगिरि से बहती, हिमसागर के पार।।
निर्मल, शीतल, वत्सल गंगा, देती सबको तार।
देवभूमि से गंगा लाए, तारन को परिवार।।

मृदुल भाव से गिरती-उठती, करे शृंखला पार।
अंचल धोकर वसुधा का यह, करती नव शृंगार।।
हरियाली वसुधा को देती, जीवन का यह सार।
देवभूमि से गंगा लाए, तारन को परिवार।।

प्राणी जल पीकर सुख पाते,करती नित उपकार।
पापी जन मल धोकर करते, दूषित जल सौ बार।।
याद रखो सुरसरि है पावन, देवलोक उपहार।
देवभूमि से गंगा लाए, तारन को परिवार।।

दूर प्रदूषण कर गंगा से, त्यागो मलिन विचार।
दे सम्मान धरा पर इसको, भूल करो स्वीकार।।
बहे स्वच्छ अलिरल यह धारा, पूज करो सत्कार।
देवभूमि से गंगा लाए, तारन को परिवार।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
शरद पूर्णिमा पर्व है,
शरद पूर्णिमा पर्व है,
Satish Srijan
सांत्वना
सांत्वना
भरत कुमार सोलंकी
मैंने रात को जागकर देखा है
मैंने रात को जागकर देखा है
शेखर सिंह
"आसानी से"
Dr. Kishan tandon kranti
इस दरिया के पानी में जब मिला,
इस दरिया के पानी में जब मिला,
Sahil Ahmad
पुश्तैनी मकान.....
पुश्तैनी मकान.....
Awadhesh Kumar Singh
भुक्त - भोगी
भुक्त - भोगी
Ramswaroop Dinkar
We all have our own unique paths,
We all have our own unique paths,
पूर्वार्थ
#क़ता (मुक्तक)
#क़ता (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
हम इतने सभ्य है कि मत पूछो
हम इतने सभ्य है कि मत पूछो
ruby kumari
“ आप अच्छे तो जग अच्छा ”
“ आप अच्छे तो जग अच्छा ”
DrLakshman Jha Parimal
आजकल की औरते क्या क्या गजब ढा रही (हास्य व्यंग)
आजकल की औरते क्या क्या गजब ढा रही (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"प्यार में तेरे "
Pushpraj Anant
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
shabina. Naaz
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
Shweta Soni
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*ज्ञानी की फटकार (पॉंच दोहे)*
*ज्ञानी की फटकार (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
8) दिया दर्द वो
8) दिया दर्द वो
पूनम झा 'प्रथमा'
इस दुनियां में अलग अलग लोगों का बसेरा है,
इस दुनियां में अलग अलग लोगों का बसेरा है,
Mansi Tripathi
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
तुझसे कुछ नहीं चाहिये ए जिन्दगीं
तुझसे कुछ नहीं चाहिये ए जिन्दगीं
Jay Dewangan
✍️गहरी बात✍️
✍️गहरी बात✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
23/218. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/218. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
Sampada
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
Dr Parveen Thakur
पहचान तेरी क्या है
पहचान तेरी क्या है
Dr fauzia Naseem shad
जन्म से मरन तक का सफर
जन्म से मरन तक का सफर
Vandna Thakur
आखिर क्यों
आखिर क्यों
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज
Sarfaraz Ahmed Aasee
Loading...