खौफ का मंजर भक्ति
आपको अपने कृत्यों में या तो विश्वास होगा
या नहीं होगा,
विचारों का मंथन होगा.
या तो शक पैदा होगा.
या तो धारा मिल जायेगी.
जैसा आप जैसा कोई रहा होगा.
सोचना तो पडेगा .
नहीं तो मुरदा ही आपकी पहचान.
उस धारा में ही रहकर.
धारणाओं की कमी छाँटना,
खौफ़ के कारण सहज नहीं है.
क्योंकि फैलाया गया है,
रूद्र कुपित होकर …???
मायावी जाल.. कोई एक ईश्वर है ???
वह कुपित होकर.. सब अनर्थ कर देगा.
आजतक जिसने भी विचार किया.
वह जीते जी पाखंडियों द्वारा फैलाये महाजाल से मुक्त हो गया.
इससे बडा मोक्ष.
और कोई हो नहीं सकता.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस