खो गई हो तुम डगर में
खो गयी हो तुम डगर में ,मैं अकेला हो गया हूँ ,
क्या बताऊ बिन तुम्हारे , क्या से क्या मै हो गया हूँ ,
एक समय था भोर तुझसे ,साँझ होती थी तुझी से ,
वक्त पर तेरा असर था, दिल जुड़े थे धडकनों से ,
अब किस तरह से कट रहे दिन, कट रहीं तन्हाइयां ,
तुम चली गयी भले हो, पर रह गयी परछाइयां ,
रुख़ प्रसंग सब याद तेरे ,बस खुद को भूला हुआ हूँ ,
खो गयी हो तुम डगर में ,मैं अकेला हो गया हूँ ,
क्या बताऊ बिन तुम्हारे ,क्या से क्या मै हो गया हूँ ,
– जय श्री सैनी ‘सायक’