*खोने के लिए संसार है (गीत)*
खोने के लिए संसार है (गीत)
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सिर्फ पाने और खोने के लिए संसार है
(1)
छोड़कर मॅंझधार में, दादी गईं दादा गए
प्यार करते थे जगत में, हद से जो ज्यादा गए
वेदना देकर वही जाता कि जिससे प्यार है
(2)
दीप बुझने जा रहा है कोई अपना तो नहीं
सोचता हूॅं यह भयावह कोई सपना तो नहीं
कब हुआ अपना हमेशा कोई रिश्तेदार है
(3)
याद सहसा आ गया वह ट्रेन में जो था मिला
नेह का जिससे चला दो-चार घंटे सिलसिला
कौन यह जाने कि अब उसका कहॉं घर- बार है
सिर्फ पाने और खोने के लिए संसार है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451