खेलें कन्हैया
गीत
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ऑंङन बीचे ढूरि ढ़ूरि , खेलें कन्हैया।
खेलें कन्हैया हो , खेलें कन्हैया।।
ऑंङन बीचे ढूरि ढ़ूरि …………।।००।।
छीटें पथार कबो , पानी घंहोरें।
मइया मथत दही , हाथ जाके बोरें।।
पसारे हाथ आगे जाइ, मॉंङत मलैया।
ऑंङन बीचे ढूरि ढ़ूरि, खेलें कन्हैया।।१।।
चमकत चनरमा में पकड़ल चाहें।
पूछेलें दाऊ से पकड़ा न काहें।।
हॅंसेली देखि हठल खूब मइया।
ऑंङन बीचे ढूरि ढ़ूरि ……..।।२।।
माई से लुकवाइ माटी जो खालें।
चोरी पकड़इला से अब्बे डेरालें।
चाहेलें रोज कान अंइठइया।।
ऑंङन बीचे ढूरि ढ़ूरि खेलें कन्हैया।।३।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**