खूब जलेंगे दीप
मुक्तक
~~~~
खूब जलेंगे दीप जब, जगमग चारों ओर।
हर्षित होकर हर जगह, झूम उठे मनमोर।
जग जाएगी मन सभी, नयी उमंगें खूब।
छट जाएंगे तमस के, घन सारे घनघोर।
~~~~
रौशन होती दीप से, हर घर की दहलीज।
श्रम से ही मिलती हमें, मुंह मांगी हर चीज।
किन्तु समय भी तो बहुत, होता है बलवान।
ऋतु आने पर अंकुरित, होते भू पर बीज।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य