खून के छींटे है पथ्थरो में
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Mutdaarik musamman mahzoz
faa’ilun faa’ilun faa’ilun fe’
212 212 212 2
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खून के छींटे है पथ्थरो में
ढूढ़ते दाग है खंजरो में
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मांगना खैरियत जान की तुम
जब मची लूट चारागरों में
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कारवां रोकना पड़ गया है
कुछ थके कुछ गुमे कंजरो में
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मूक झूठी गवाही नहीं ये
बोलते लोग हैं कटघरों में
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खेल नेता अभी यू दिखाया
खलबली सी मची जादूगरों में
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तुम जरा गर कहो खास बनते
हम रहे चूकते खास अवसरों में
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सुशील यादव