मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
गज़ल
1212….1122….1212….22-112
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
खुदा का शुक्र है जिसने दिए ये नज़राने।
मिले जो आज है साकी, शराब, मयखाने,
नसीब मुझको कहां थे कभी ये पैमाने।2
तुम्हारी बाहों में दम निकले ये तमन्ना है ,
मैं जानता हूं सनम या कि मेरा रब जाने।3
अगर चे साथ दो तो हम लिखेंगे कुछ ऐसे,
करेगी याद जो दुनियां हमारे अफसाने।4
मज़ा है प्यार में तो दर्द भी बेहद इसमें,
ये दर्दे दिल कोई प्रेमी या प्रेमिका जाने।5
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी