खुद को मसखरा बनाया जिसने,
खुद को मसखरा बनाया जिसने,
रातभर मंच को सजाया जिसने।
थका था चुप था ग़मज़दा था वो,
भरी महफ़िल को खूब हंसाया जिसने।
-सतीश सृजन
खुद को मसखरा बनाया जिसने,
रातभर मंच को सजाया जिसने।
थका था चुप था ग़मज़दा था वो,
भरी महफ़िल को खूब हंसाया जिसने।
-सतीश सृजन