हमेशा की तरह
रिश्ते नाते हो… या दोस्ती यारी हो,
अक्सर मैं पीछे रह जाता हूं..!
मेरा कम बोलना… पर सही को सही …गलत को गलत कहने की वजह से,
ज्यादातर लोगों को मैं पसन्द नहीं आता हूं..!
फिर?
तो फिर क्या,
हमेशा की तरह अपनी धुन में… दुनिया से विरक्त होकर,
अपनी शायरी और किताबों में मैं खुद को तलाशता नजर आता हूं..!!
– कृष्ण सिंह