खिलौना
हुस्न की मल्लिका हो और रूप हैं सलोना
तू मिरे कम्बल थी और मैं था तेरा बिछौना
जिसे तुम चीज समझ के खेल रही हो ना
वो चीज दिल है मिरे नही है तिरे खिलौना
वो मिरे मोहब्बत को लगे थे मापने-तौलने
तो कह दिए हम भी नहीं कोई औना-पौना
झूठी हर बात थी और झूठा था प्यार तेरा
कमजोर हो गया ये मोहब्बत हो गया बौना
©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला – महासमुन्द (छःग)