“खामोशी की गहराईयों में”
खामोशी, जो अक्सर शब्दों से अधिक कहती है, उसका एक अपना आलम होता है। यह वो भाषा है जिससे हम अपने भीतर के अनगिनत भावनाओं को व्यक्त करते हैं, बिना एक शब्द बोले। खामोशी की गहराइयों में छुपी हर धडकन अपनी कहानी सुनाती है, बिना किसी शोर शराबे के।
वक़्त के साथ, हम अपने आत्मा की गहराइयों में उलझे हुए ख्वाबों की खोज में खो जाते हैं। खामोशी की वो सुकूनभरी सिरीसृप हमें हमारे असली अर्थ को समझने की कला सिखाती है।
जब हम खामोशी में खो जाते हैं, तब हमारी आत्मा नये आयाम तक पहुँचती है। यह वो समय होता है जब हम अपने अंतर्निहित आत्मज्ञान का खोजने में जुटे रहते हैं, और हमारे आस-पास की गलियों में छुपे रहस्यों को समझने की कोशिश करते हैं।
खामोशी वक़्त की मुद्रा होती है, जो हमारी असीम भावनाओं को सुनती है और समय की गति को समझने में मदद करती है। इसीलिए, कभी-कभी खामोशी की आलोचना करने की बजाय, हमें उसके सुनने का समय देना चाहिए, क्योंकि वह हमें हमारे अपने आप से जुड़ने की सीख देती है।।