खाते मोबाइल रहे, हम या हमको दुष्ट (कुंडलिया)
खाते मोबाइल रहे, हम या हमको दुष्ट (कुंडलिया)
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खाते मोबाइल रहे ,हम या हमको दुष्ट
बड़ा प्रश्न सम्मुख खड़ा ,अब आँखें हैं रुष्ट
अब आँखें हैं रुष्ट ,कह रहीं नाता तोड़ो
देता आँख बिगाड़ ,आज ही इसको छोड़ो
कहते रवि कविराय ,मिटेगी जाते-जाते
आदत बड़ी खराब , हो गई खाते-खाते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451