*खाट बिछाई (कुंडलिया)*
खाट बिछाई (कुंडलिया)
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खाट बिछाई सो गए, छत पर लोग तमाम
इनमें थे सब खास भी, इनमें थे सब आम
इनमें थे सब आम ,सरल रहना होता था
एसी बिना मकान, चैन से हर सोता था
कहते रवि कविराय, याद सहसा हो आई
छत पर कर छिड़काव, सभी ने खाट बिछाई
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451