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26 Jul 2022 · 1 min read

*खाट बिछाई (कुंडलिया)*

खाट बिछाई (कुंडलिया)
_________________________
खाट बिछाई सो गए, छत पर लोग तमाम
इनमें थे सब खास भी, इनमें थे सब आम
इनमें थे सब आम ,सरल रहना होता था
एसी बिना मकान, चैन से हर सोता था
कहते रवि कविराय, याद सहसा हो आई
छत पर कर छिड़काव, सभी ने खाट बिछाई
_________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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