ख़्वाब आंखों के
ख़्वाब आंखों के
मुझे सोने नहीं देते
मेरे हालत भी
मुझको
मेरा होने नहीं देते
हौसले दिल के न पूछो
बिख़र ने भी नहीं देते
सवरने ने भी नहीं देते
शिकायत भी भला
किससे करे कोई
मुकद्दर के मसाइल हैं
मुझे जीने नहीं देते।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद