ख़्याल आते रहे, ख्याल जाते रहे
ख़्याल आते रहे, ख्याल जाते रहे
वक्त के साथ,हम गुनगुनाते रहे
वक्त ठहरा नहीं,हम भी चलते रहे
चिराग आंधियों में भी जलते रहे
कभी धूप में कभी छांव में
जिंदगी के तरानों को लिखते रहे
जो मिल गया वक्त के साथ में
हमसफ़र उनको बनाते रहे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी