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8 Nov 2017 · 1 min read

क्षितिज को ढूँढता…

क्षितिज को ढूँढता पागल मैं कोई परिंदा हुँ ,
खुद की इस उड़ान पे अब खुद से ही शर्मिंदा हुँ ,
तुम्हें इस बात का कोई इल्म है या भी नहीं ,शायद
तुम्हारे नाम पे मरता , तेरे ही नाम से जिन्दा हुँ ।
#नीलमणि_झा
8544042816

Language: Hindi
1 Comment · 299 Views
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