क्षितिज को ढूँढता…
क्षितिज को ढूँढता पागल मैं कोई परिंदा हुँ ,
खुद की इस उड़ान पे अब खुद से ही शर्मिंदा हुँ ,
तुम्हें इस बात का कोई इल्म है या भी नहीं ,शायद
तुम्हारे नाम पे मरता , तेरे ही नाम से जिन्दा हुँ ।
#नीलमणि_झा
8544042816
क्षितिज को ढूँढता पागल मैं कोई परिंदा हुँ ,
खुद की इस उड़ान पे अब खुद से ही शर्मिंदा हुँ ,
तुम्हें इस बात का कोई इल्म है या भी नहीं ,शायद
तुम्हारे नाम पे मरता , तेरे ही नाम से जिन्दा हुँ ।
#नीलमणि_झा
8544042816