Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2022 · 1 min read

*क्षितिज (कुंडलिया)*

क्षितिज (कुंडलिया)
●●●●●●●●●●●●●●●●●●
करता है मन दौड़ के ,चलें क्षितिज के पार
देखें फिर जाकर वहाँ , कैसा है संसार
कैसा है संसार , देवता शायद पाएँ
अमृत की दो बूँद ,काश हमको मिल जाएँ
कहते रवि कविराय ,सुना तन वहाँ न मरता
रहता सदा जवान ,रोग की फिक्र न करता
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

188 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
Anand Kumar
"कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
पूर्वार्थ
-दीवाली मनाएंगे
-दीवाली मनाएंगे
Seema gupta,Alwar
■ पहले आवेदन (याचना) करो। फिर जुगाड़ लगाओ और पाओ सम्मान छाप प
■ पहले आवेदन (याचना) करो। फिर जुगाड़ लगाओ और पाओ सम्मान छाप प
*Author प्रणय प्रभात*
(23) कुछ नीति वचन
(23) कुछ नीति वचन
Kishore Nigam
अनुभूत सत्य .....
अनुभूत सत्य .....
विमला महरिया मौज
सब कुछ खत्म नहीं होता
सब कुछ खत्म नहीं होता
Dr. Rajeev Jain
क्या है उसके संवादों का सार?
क्या है उसके संवादों का सार?
Manisha Manjari
आसमाँ के परिंदे
आसमाँ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
तलाकशुदा
तलाकशुदा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"यादों के बस्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
gurudeenverma198
नारी का बदला स्वरूप
नारी का बदला स्वरूप
विजय कुमार अग्रवाल
जब तात तेरा कहलाया था
जब तात तेरा कहलाया था
Akash Yadav
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
Sandeep Kumar
हवाएं रुख में आ जाएं टीलो को गुमशुदा कर देती हैं
हवाएं रुख में आ जाएं टीलो को गुमशुदा कर देती हैं
कवि दीपक बवेजा
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
त्याग समर्पण न रहे, टूट ते परिवार।
त्याग समर्पण न रहे, टूट ते परिवार।
Anil chobisa
जाते-जाते गुस्सा करके,
जाते-जाते गुस्सा करके,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
Pramila sultan
तुम मुझे भुला ना पाओगे
तुम मुझे भुला ना पाओगे
Ram Krishan Rastogi
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मां
मां
Manu Vashistha
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
Rituraj shivem verma
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
Vishal babu (vishu)
राख देख  शमशान  में, मनवा  करे सवाल।
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
दुष्यन्त 'बाबा'
Poem on
Poem on "Maa" by Vedaanshii
Vedaanshii Vijayvargi
ख्वाहिशों के कारवां में
ख्वाहिशों के कारवां में
Satish Srijan
Loading...