क्षमा एक तुला है
दूसरे की गलती,
मन से देता भुला है।
शांत चित्त रहता,
प्रतिशोध में न घुला है।
कुछ और नहीं,
क्षमा एक तुला है।
ईश्वर की किताब में,
सब लिखा हिसाब में।
सबके साथ में है,
अपने हाथ में है।
जैसा करेंगे,
वैसा भरेंगे।
माफ वही करता
जो नेकी रस में घुला है।
कुछ और नहीं,
क्षमा एक तुला है
वह है इंसाफी,
बस इतना है काफी।
दूसरों की तुम करो,
रब से पाओ माफी।
जैसे बरतेंगे अपनाएंगे,
वैसे तौले जाएंगे।
क्षमा करेंगे क्षमा किये जायेंगे,
जैसा हिसाब करेंगे
वैसे खुद को तौलाएंगे।
दरबार का न्याय,
मिला जुला है।
कुछ और नहीं,
क्षमा एक तुला है।
सतीश सृजन