क्षणभंगुर …
क्षणभंगुर …
क्षणभंगुर इस जीवन का कहाँ कोई ठिकाना है l
हर कदम पे उलझन में लिपटा एक फ़साना है l
हो सका न मुक्त कभी आदि , अंत की कैद से ,
आना-जाना साँसों का इस तन में एक बहाना हैll
सुशील सरना
क्षणभंगुर …
क्षणभंगुर इस जीवन का कहाँ कोई ठिकाना है l
हर कदम पे उलझन में लिपटा एक फ़साना है l
हो सका न मुक्त कभी आदि , अंत की कैद से ,
आना-जाना साँसों का इस तन में एक बहाना हैll
सुशील सरना