# क्रांति का वो दौर
# क्रांति का वो दौर
क्रांतिकारियों ने जो लहू बहाया,
व्यर्थ जाने दोगे ?
सर कटा, आजादी का जो मोल बताया,
उसे निरर्थक ही जाने दोगे ?
भारत मां ने जो सपूत गवायें,
विफल जाने दोगे ?
नदियों, समुद्रों ने जो लाशें बहाएं,
उसे क्या असफल ही जाने दोगे ?
देख, आज के भारत को,
प्राण पखेरू मेरे संकट में है,
रोटी का एक टुकड़ा, पानी की दो बूंद नहीं,
शिक्षा के चार अंक, सुकून के दो पल नहीं।।
क्यों तुम दंगा फसाद करते हो,
नाम ले कर राम, अल्लाह,
निवाले नहीं हलक में जाने को,
गली, मोहल्ला करे हल्ला ।।
जीवन में उल्लास, हृदय में उन्माद,
फिर से लाना होगा,
मन में संवेदना, मस्तिष्क में उत्तेजना,
क्रांति का वो दौर फिर से लाना होगा।।
तन में आग, भुजाओं में बल,
फिर से लाना होगा,
दिल में जोश, खून में उबाल,
क्रांति का वो दौर फिर से लाना होगा।
सीमा टेलर, छिम़पीयान लम्बोर, चुरू, राजस्थान