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16 Oct 2022 · 1 min read

क्यों सोचता हूँ मैं इतना

मुझको नहीं मालूम,
कि तुझमें क्या विशेष है,
कि हटता नहीं है सच में,
मेरा दिलो- दिमाग सोचने में,
किसी और के बारे में कभी,
क्यों सोचता हूँ मैं इतना,
सिर्फ तेरे ही बारे में हमेशा।

इसका कारण क्या होगा,
शायद तेरी खूबसूरती हो,
शायद तेरी शरारतें हो,
मृगनयनी सी तेरी आँखें हो,
शायद तेरी चपलता हो,
कि खो जाता हूँ तुझमें ,
क्यों सोचता हूँ मैं इतना,
सिर्फ तेरे ही बारे में हमेशा।

कर रहा हूँ अर्पण तुमको मैं,
अपनी सारी दौलत- शौहरत,
अपनी खुशी और अरमान,
अपनी इज्जत और जान,
बदले में नहीं मांग रहा हूँ मैं,
तुमसे कुछ भी अपनी खुशी में,
और सींच रहा हूँ अपने पसीने से,
तेरे लिए यह गुलशन दिल से,
तुमसे क्यों इतना प्यार है,
क्यों सोचता हूँ मैं इतना,
सिर्फ तेरे ही बारे में हमेशा।

अच्छी नहीं लगती मुझको,
तुम्हारे चेहरे पर उदासी,
अच्छे नहीं लगते मुझको,
तुम्हारी आँखों में आँसू,
अच्छी नहीं लगती मुझको,
तुम्हारी बर्बादी- बदनामी,
आखिर किस रिश्ते से,
क्यों सोचता हूँ मैं इतना,
सिर्फ तेरे ही बारे में हमेशा।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847

Language: Hindi
249 Views
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