क्यों शमां मुझको लगे मधुमास ही तो है।
ग़ज़ल
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क्यों शमां मुझको लगे मधुमास ही तो है ।
ये मुहोब्बत का मेरे अहसास ही तो है।।
दे रहा सांसों को जीवन आस ही तो है ।
पास हो धड़कन के यें विश्वास ही तो हैं ।।
छू के आती ये पवन तेरी ही गलियों को।
यूं लगा हमदम हमारे पास ही तो है ।।
धन इकट्ठा कर रहे हैं बेच कर ईमान ।
और दौलत चाहिए ये प्यास ही तो है।।
चाहतों की हर रंग तुझ से ही “ज्योटी का ।
ज़िन्दगी को दे रहा वो ख़ास ही तो है।।
ज्योटी श्रीवास्तव( jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️