“क्योंकि तू एक माँ है”
चाहे तन से झुक जाए तू
लेकिन कभी मन होगा न कम।
तू न करेगी कभी शिकायत
चाहे निपूत हों क्यों न हम।
मांँ विशाल है माँ अथाह है
तेरे प्यार का न ओर न छोर।
चाहे संतानें हों नालायक
और वो करें दुष्टता घोर।
धरा सी धीर है तू माँ
समुन्दर सी तेरी ममता की गहराई।
संसार कोई भी हस्ती
माँ तेरा मुकाबला न कर पाई।
–रंजना माथुर दिनांक 12/11/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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