क्या है भ्रांति.. क्यों है हम अशांत
प्रशंसा या निंदा
प्रसंशक या निंदक
पूर्णिमा या अमावस्या
उजाले वा अंधेरे
लेखन या रिक्तता
आधा या खाली
खाली के भरा
प्रश्न के उत्तर
या उत्तर ही उत्तर
बहुत से ऐसे प्रश्न है जिनके जवाब संभव नहीं है…फिर भी हम उत्तर खोजने की बजाय ..उत्तर देते है.
जिससे ये संभावना उत्पन्न हुई ?
हमारा समाज वैसे विध्वंसक है.
पूर्णता का समर्थक नहीं.
यहाँ चुनाव आवश्यक है पूर्णता नहीं.
इसलिये प्रवचन पसंद है.
कथावाचक सक्रिय है.
हम खुद को जानने से चूक जाते है.
भ्रांति, शक,कुंठा, ईर्ष्या सक्रिय रहती है.
नफरत से भरे है ..दमन ने मन को आजादी नहीं दी.
हमारी धार्मिकता दो कौड़ी की नहीं.
मानसिकता गुलाम है
सम्मोहन काम करता है.
आज मानसिकता उद्वेग अवस्था पर है.
कुछ लोगों को छोडकर हमने अपनी हीनभावना को सक्रिय रखा है.
चाहे स्तर जाति हो..सम्प्रदाय हो.
to be continued…
Writer:- – Dr. Mahender