क्या बदला है..?
वही लब वही हुश्न वही जज़्बात,
क्या बदला है..?
वही दिन वही रात वही चाँद-सूरज,
क्या बदला है..?
वही आसूँ वही दर्द वही बेबसी
क्या बदला है..?
कहीं शोर कहीं सन्नाटा कही बैचैनी,
क्या बदला है..?
वही भेड़िए वही गिद्द वही भेड़-बकरी,
क्या बदला है..?
कुछ नही बस इंसानी आंकड़ा बदला है,
मैं दुःखी नही, ना ही ख़ुशी मुझे,
मैं ख़ामोश हूँ,
चलो कुछ नही साल तो बदला है …!!!!!