क्या ठहर जाना ठीक है
खत्म हुआ यह ईंधन , अब क्या ठहर जाना ठीक है
बढ़ रही है धुंध क्या अब लौट जाना ठीक है ।।१
तूफानों के बीच शहर में क्या घर बनाना ठीक है
अंधीआले आलम में क्या दिया जलाना ठीक है।।२
राजनीति के इन मुद्दों पर क्या अड़ जाना ठीक है
भीतर- घर आंख मूंदकर क्या रह जाना ठीक है।।३
कोई बंजर भूमि पर क्या पौधा उगाना ठीक है
भरा हुआ है पेट फिर भी घूस खाना ठीक है।।४
कोमल कोमल दांतो से लोह – चने चबाना ठीक है
क्या कठिन परिश्रम से जग – रोशनाना ठीक है।।५
रह रहे जिस शीशे के घर में गुल खिलाना ठीक है
पुरखों की जमीनो पर क्या मकबरे बनाना ठीक है।।६
बंजर पड़ी जमीन पर क्या पौधे लगाना ठीक है
भ्रष्टाचार के मुद्दों को क्या नित् गिनाना ठीक है ।।७
खत्म हुआ यह ईंधन अब क्या ठहर जाना ठीक है
बढ़ रही है धुंध अब क्या लौट जाना ठीक है ।। ८
#कवि दीपक सरल