क्या करिश्मा दिखा दे
न जाने ख़ुदा क्या करिश्मा दिखा दे |
तुझे क्या पता है वो कब किसको क्या दे ..
गिनाता उसे है शिकायत बहुत तू .
अगर उसने दी है जो साँसें गिना दे..
ज़माने को अपनी ख़बर दे सकूँ मैं .
अगर मेरे होने का मुझको पता दे ..
कोई जब्र है या तहय्युर है कोई |
मेरी ज़ीस्त क्या है मुझे तू बता दे ..
ख़तावार मैं हूँ, है तस्लीम लेकिन .
गुनाहों की मुझको न ऐसी सज़ा दे ..
लगा लूँगा तुझको गले दौड़ कर मैं |
अगर सम्त मेरी क़दम तू बढ़ा दे ||
उन्हें क़द्र करने की तहज़ीब दे कर .
तू बच्चों को मेरे सलीक़ा सिखा दे ..
जब्र = अत्याचार
तहय्युर = अचंभा
तस्लीम = स्वीकार
Nazar Dwivedi