क्या आजाद हैं हम ?
विषय :क्या आजाद हैं हम
इस सोने के पिंजरे में कैद है
इसमें भरी है मोह माया
इसमें भरे राग -द्वेष हैं
अंतर्मन बस एक बात ही पूछे
क्या आज़ाद है हम।
अब पहले सा बुजुर्गों का साथ कहाॅं !
अब पहले सा भाईचारा कहाॅं !
अब पहले से वह घर परिवार कहाॅं !
ऐसे हालातो में कैसे कह दे
क्या आजाद है हम।
बड़े-बड़े घरों में अब
छोटे-छोटे मन के लोग हैं रहते
अपनी खुशियों की खातिर हो
अंधा, गूंगा, बहरा सब बन जाते
ऐसे परिवेश में सांसे लेकर
क्या आजाद हैं हम।
मन की व्यथा अब कोई न समझे
अपनी -अपनी डफली
अपना- अपना राग सुनाते
अपनी खातिर अपनों का ही
सर्वनाश कर जाते हैं
ऐसे में क्या!आजाद हैं हम।
हरमिंदर कौर, अमरोहा (यूपी)