कौन है ये ऊपर वाला ?
जी हाँ,
पटकथा,
ऊपर वाला लिखता है,
आदमी तो बेचारा,
उस पर अभिनय करता है,
और लोग ऊपर वाले को भूलकर,
वह दर्जा,
उसी को दे देते हैं,
वे और उसके समर्थक,
एक खेल रचते है,
जिससे उनके भक्त,
अपना विवेक/समझ/सूझबूझ सब खो देते है,
ठीक वैसे ही जैसे,
दूध दोहन से पहले,
बछडे को लगाना,
और फिर दूध दूहने जैसा,
सवाल निकल कर आता है,
कौन है ये ऊपर वाला,
कोई एक तो नहीं हो सकता,
सवाल है अपने मनुष्य होने पर,
जो हम खो देते है,
उसके बाद तो हम कटपुतली/रोबोट है.
कोई फायदे भी नही,
आखिर उसे खोजना ही होगा,
मन का अध्ययन पहली जरूरी है,
वह सूक्ष्म से सूक्ष्म तरंगों के प्रति जागरूक है,
शोर में सब गुल,
हमें खुद पर भरोसा कम है,
हमारी नजदीकी कुछ देखने नहीं देती,
जैसे सीसे को चेहरे से सठ्ठा लेने जैसा.
उतावलापन ही तो है.
जो हमें सीधे प्रभावित करते हैं,
मेरा जवाब मेरे पास है.
और आपका. ???