कौन लड़े नसीब से
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लटके हुए सलीब से
कौन लड़े नसीब से
पास तो आ ऐ ज़िंदगी
छू लूं ज़रा क़रीब से
बात न सुन रक़ीब की
दूर न जा हबीब से
नग्न समाज हो गया
डरने लगा अदीब से
रोज़ नयी वबा* यहाँ
ख़ौफ़ ज़दा तबीब** से
जाने मुझे ही क्यों मिले
लोग सदा अजीब से
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*वबा—महामारी, संक्रामक रोग जिससे बहुत से लोग एक साथ – जल्दी मरें; छूतवाला रोग
**तबीब—चिकित्सक. दवा करनेवाला, उपचारक, चिकित्सक, वैद्य