@@@कौन मानता है###
@@@@कौन मानता है####
किसे बताये कौन मानता है,,
किसी का दर्द कौन जानता है,,
हर कोई परेशान सा है मेरे शहर में,,
खुशी का पता कौन पहचानता है!!
दरबदर भटक रहा है आदमी तलाश में ,,
हर दरवाजा बंद है फ़िर भी खाक छानता है!!
दोस्ती बस दस्तूर सी लगती है आजकल,,
करता नही मदद पड़ोसी बस बखानता है!!
ज़रा सा क्या पा लिया दुनिया का हुनर,,
किसी और को तो हरदम बस तनता है!!
मसले हल नही करता घर मोहल्ले के वो,,
वो हाल देश के दाल चावल से सानता है!!
मनु का क्या मेरे यारों यू ही बात रख दी है,,
पर ये न सोच लेना की ज़्यादा ही ग्यान्ता है!!
****मानक लाल मनु,,,,,
++++सरस्वती साहित्य परिषद सालीचौका,,,,