*कौए काले (हिंदी गजल/गीतिका)*
कौए काले (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
कहाँ गए तुम कौए काले
दिखने के अब पड़ते लाले
(2)
ढूॅंढ रहे हैं कौआ तुमको
प्यारे ! आ जा कुछ तो खा ले
(3)
काँव-काँव सुनने को तरसे
भइया !अब तो थोड़ा गा ले
(4)
कौए कैसे दिख पाऍंगे
दूषित हवा-नदी सब नाले
(5)
हुए नदारत कौए मतलब
हाल शहर के ढीले-ढाले
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451