कोहरा
आज घर के बाहर घना कोहरा छाया हुआ दिखा, दूर कुछ दिखायी नहीं दे रहा था, कोहरे को देख ऐसा लगा जैसे यह जीवन का भविष्य है, आगे क्या होगा, कुछ नज़र नहीं आता है…
लेकिन कोहरे में हम जैसे जैसे एक कदम आगे बढ़ते जाएंगे, आगे हमे दिखने लगता है, कोहरे के बावजूद रास्ता साफ होने लगता है…
ऐसे ही जीवन में हमे आगे की राह पर देखने के लिए, चलने के लिये, एक कदम आगे बढ़ाना ही होगा, नहीं तो हम वहीं खड़े खड़े, सोचते सोचते पीछे रह जाएंगे और वक़्त आगे बढ़ता जायेगा…
उसी जगह खड़े खड़े हम सोचते रहेंगे, हमे कुछ हासिल नहीं होगा, हम वहीं रह जाएंगे और जीवन का कारवाँ गुज़र जाएगा…
सुनील पुष्करणा