“ कोरोना का झटका “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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“करोना को बहुत करीब से देखा,
लोगों को अपनों से बिछुड़ते देखा,
आँखों के आँसू तो थमते नहीं थे,
माता , बहनों को बिलखते देखा !!
लोगों के मरने का ताँता लगा था ,
नसीब वालों को कन्धा मिला था ,
दो गज जमीन मयस्सर न हुआ ,
हर कोई यहाँ पर दर्शक बना था !!
काम धंधे सारे बंद होते चले गए ,
दो जून की रोटी मिल ना सकी ,
उदद्योग कारखानों में ताले लगे ,
मजदूरों की हालत बिगड़ने लगी !!
अस्पताल में बिस्तरों की कमी थी ,
मरीज ही मरीज ज़मीनों पे पड़े थे ,
ऑक्सीजन अभाव बिना चिकित्सा ,
की प्रतीक्षा में वे दिनरात खड़े थे !!
यज्ञ -अनुष्ठान कोरोना को पूजा ,
शंख ,घड़ीघण्ट और डमरू बजाया ,
सोशल दूरियाँ ,मास्क लगा करके ,
बार -बार अपने हाथों को धुलाया !!
लॉक डाउन सारे देश में हो गया ,
फिर भी चुनावी रेलियाँ होती रहीं ,
सरकारी अनुष्ठान न बंद हो सके ,
अव्यवस्था यूँही यहाँ चलतीं रहीं !!
गलत योजना और अव्यवस्था के ,
चलते हमने कितने लोग गमाये ,
सजग सदा यदि हम होते पहले ,
हम भी जग में कुछ नाम कमाते !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत