कोरोना काल में गोल्डन एरा की महान अभिनेत्री कुमकुम का गुमनाम निधन
कोरोना काल में गोल्डन एरा की महान अभिनेत्री कुमकुम का गुमनाम निधन
आलेख: महावीर उत्तरांचली
एक्टर सुशान्त सिंह की आत्महत्या की गुत्थी में उलझा देश। ये जान ही न पाया कि कितने अनमोल नगीने वर्ष 2020 ने निगल लिए। गीतकार अभिलाष, योगेश, अनवर सागर व राहत इन्दोरी। अभिनेता सुशांत, इरफ़ान, ऋषि व जगदीप। संगीतकार साजिद। गायक एस पी बालसुब्रह्मनियम। आदि-आदि। इसी सूची में पचास से सत्तर के दौर में सक्रिय बॉलीवुड की अति रोमंटिक व लोकप्रिय एक्ट्रेस कुमकुम का नाम भी शामिल हो गया है। वह 86 साल की थीं और तारीख़ थी 28 जुलाई 2020। लंबे समय से बीमारी की वजह से कुमकुम का निधन हुआ। मुंबई में लिकिंग रोड पर कभी उनके आलिशान बंगले का नाम ही कुमकुम निवास हुआ करता था। बाद में उसे तोड़कर एक भव्य बिल्डिंग बना दी गई थी। फ़िलहाल कुमकुम सत्तर के दशक में फ़िल्मों से सन्यास लेने व शादी कर लेने के बाद से ही सऊदी अरब में अपने पति सज्जाद व इकलौती बेटी के साथ रह रही थी।
22 अप्रैल 1934 को बिहार के शेखपुरा में जन्मीं कुमकुम का असली नाम ज़ैबुनिस्सा (Zai’bu’nnissa) था। उनके पिता हुसैनाबाद के नवाब थे। जिनकी सारी सम्पत्ति कुर्क़ (न्यायालय के आदेशानुसार ज़ब्त किया हुआ माल-संपत्ति) हो गई थी। जिसे सरकार ने अपने नाम कर लिया था। इनके पिता कलकत्ता चले गए। जहाँ कुमकुम की माँ को तलाक़ देकर उन्होंने दूसरी शादी कर ली। अब बेसहारा माँ-बेटी की गुज़र-बसर बड़ी मुश्किलों में होने लगी। जवान हुई तो बॉम्बे में फ़िल्मों के लिए संघर्ष किया। गुरुदत्त ने ‘कभी आर कभी पार’(फ़िल्म: मि. & मिसेज़ 55) गाने में एक छोटे से कुमकुम का पर्दे पर पदार्पण करवाया। और अनेक हिंदी फ़िल्मों में यादगार अभिनय किया। दरअसल कुमकुम, सुप्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक व अभिनेता गुरुदत्त की खोज मानी जाती हैं। गुरुदत्त को अपनी फिल्म आर पार (1954) के गाने “कभी आर कभी पार लागा तीरे नजर” का फिल्मांकन एक्टर जगदीप पर करना था लेकिन बाद में गुरुदत्त को लगा कि इसे किसी महिला पर फिल्माना चाहिए। उस समय, कोई भी इतना छोटा सा गाना करने के लिए सहमत नहीं हुआ। तब आखिरकार गुरुदत्त ने कुमकुम पर इस गीत का चित्रण किया। बाद में गुरु दत्त ने अपनी फिल्म प्यासा में भी उन्हें छोटा सा किरदार दिया। हिंदी के अलावा कुमकुम ने कुछ भोजपुरी फिल्मों में भी काम किया। कुमकुम ने पहली भोजपुरी फिल्म “गंगा मैया तोहे पियारी चढ़ाईबो” (1963) में भी अभिनय किया था।
अभी हाल ही में स्व. अभिनेता जगदीप के बेटे नावेद जाफरी ने एक ट्वीट के ज़रिये अभिनेत्री कुमकुम के निधन पर शोक व्यक्त किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था— “हमनें एक और मोती खो दिया। मैं बचपन से इन्हें जानता था। वह हमारे लिए परिवार थीं; एक अच्छी इंसान; भगवान आपकी आत्मा को शांति दें, कुमकुम आंटी।”
कुल मिलाकर कहा जाये तो कुमकुम का फ़िल्मी कैरियर सपोर्टिंग अभिनेत्री का रहा। कुछेक फ़िल्मों में ही उन्हें मुख्य अभिनेत्री का किरदार निभाने का मौक़ा मिला। इस तरह कुमकुम ने अपने कैरियर में लगभग 115 फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें ‘मदर इंडिया’ (1957), ‘कोहिनूर’ (1960), ‘सन ऑफ इंडिया’ (1962), ‘मिस्टर एक्स इन बॉम्बे’ (1964), ‘उजाला’, ‘नया दौर’, ‘श्रीमान फंटूश’, ‘एक सपेरा एक लुटेरा’ अदि में शानदार अभिनय के लिए जाना जाता है। वह अपने दौर के अनेक बड़े अभिनेता व अभिनेत्रियों के साथ काम कर चुकी थीं, जिनमें प. भारत भूषण, राजकुमार, शम्मी कपूर, दिलीप कुमार, फ़िरोज़ ख़ान, देवानन्द, किशोर कुमार और गुरुदत्त के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं।
अपने कुशल अभिनय से गोल्डन एरा की ये अभिनेत्री हमेशा हम सबके दिलों में झिलमिलाती रहेंगी। कुंकुम यानि केसर की महक ता क़यामत तक दुनिया में रहेगी। आमीन। शुभ आमीन!