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23 Aug 2024 · 1 min read

कोरोना कविता

ओ मूर्ख कोरोना ठहर जरा,
‌‌‌‌‌‌‌ ,तू क्यों आया मेरे देश मे।
जीव रूप मे ,छद्म वेष मे,
महामारी के परिवेष मे।
हमारी व्यवस्था चाक चौबन्दहै,
‌‌ ‌‌‌‌ मंदिर, मस्जिद गुरुद्वारे बन्द है।
कोई नही यहां भक्त अंध है,
मानवता के हत्यारे बन्द है।
देख ,समझ ले , रमित, अमित को,
राकेश, आनन्द और भूकर को।
इनकी शख्त निगाहे है,
अपराधी सभी भगाये है।
तेरी हठधर्मी नही चलेगी,
‌ भाग जा वरना मार पडे़गी।

‌‌‌ ‌‌‌‌‌

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