कुहू कुहू कर गाती कोयल……..
कुहू कुहू कर गाती कोयल,
सबको खूब रिझाती कोयल|
अपनी सुंदर मीठी बोली में,
हर दिन गीत सुनाती कोयल||
जब भी कभी पकड़ना चाहो,
फुर से झट उड़ जाती कोयल|
पेड़ों की शाखों में छुपकर,
सबको खेल खिलाती कोयल||
रंग को नहीं बोली को देखो,
ये सन्देश दे जाती कोयल|
कुहू कुहू कर गाती कोयल,
सबको खूब रिझाती कोयल||