Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2023 · 1 min read

कोयल कूके

कोयल कूके
भंवरे गुंजे
बहती पवन सुहानी
सुबह की बात
निराली

1 Like · 287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
Manoj Mahato
3218.*पूर्णिका*
3218.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"नारियल"
Dr. Kishan tandon kranti
जन्मदिन तुम्हारा!
जन्मदिन तुम्हारा!
bhandari lokesh
Doob bhi jaye to kya gam hai,
Doob bhi jaye to kya gam hai,
Sakshi Tripathi
वक्त के इस भवंडर में
वक्त के इस भवंडर में
Harminder Kaur
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
एक ही बात याद रखो अपने जीवन में कि ...
Vinod Patel
*लब मय से भरे मदहोश है*
*लब मय से भरे मदहोश है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*भरे मुख लोभ से जिनके, भला क्या सत्य बोलेंगे (मुक्तक)*
*भरे मुख लोभ से जिनके, भला क्या सत्य बोलेंगे (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हद
हद
Ajay Mishra
झूठी शान
झूठी शान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कविता
कविता
Shiva Awasthi
।। गिरकर उठे ।।
।। गिरकर उठे ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
गया दौरे-जवानी गया गया तो गया
गया दौरे-जवानी गया गया तो गया
shabina. Naaz
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
चॉकलेट
चॉकलेट
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
वो इँसा...
वो इँसा...
'अशांत' शेखर
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
Rajesh Kumar Arjun
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
पूर्वार्थ
*इश्क़ से इश्क़*
*इश्क़ से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दर्द आँखों में आँसू  बनने  की बजाय
दर्द आँखों में आँसू बनने की बजाय
शिव प्रताप लोधी
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
Phool gufran
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
Ram Krishan Rastogi
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-197💐
💐प्रेम कौतुक-197💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...