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15 Jan 2018 · 2 min read

बेटी पर गीत (कोख में मारना मत कभी बेटियाँ)

कोख में मारना मत कभी बेटियाँ,
प्यार की हैं हमारे ये परछाइयाँ।

बेटियाँ भोर की सी सुनहरी किरन,
खुशबुओं से इन्हीं की महकता चमन।
जन्म लेती यहाँ बेटों की ही तरह
बन्द मुट्ठी लिये और करते रुदन।
बेटियों को समझते हो फिर क्यों अलग,
एक जैसी हैं दोनों की किलकारियाँ।
कोख में मारना मत कभी बेटियाँ,……….

प्यार दोगे इन्हें सौ गुना पाओगे,
ये न भूलेंगी तुम भूल भी जाओगे।
मार दोगे अगर तुम इन्हें कोख में,
राखियाँ हाथ मे कैसे बँधवाओगे।
माँ बहन भाभियाँ सब इन्हीं से यहाँ,
खोल दो बन्द मन की जरा खिड़कियाँ।
कोख में मारना मत कभी बेटियाँ……..

बेटों की ही तरह घर सजाती हैं ये
हर बुरे वक्त में काम आती हैं ये
बेटियाँ ही बढ़ाती हैं संसार को,
बेटों का वंश आगे चलाती हैं ये
रोशनी जो जगत में भरें रात दिन,
बेटियाँ जगमगाती लगें बिजलियाँ।
कोख में मारना मत कभी बेटियाँ………

ज़िन्दगी में खुशी इनके भरपूर हों,
ये न मर मर के जीने को मजबूर हों।
फिक्र इनकी हमें भी सताये नहीं,
जब नयन से हमारे कभी दूर हों ।
इसलिये खूब इनको पढ़ाना हमें ,
सोच अपनी बदलती रहें पीढ़ियाँ।
कोख में मारना मत कभी बेटियाँ…….

ये जमाने का सदियों पुराना चलन,
सात फेरों के पड़ते निभाने वचन।
अपने माता पिता छोड़ मिलते इन्हें,
दूसरे माँ पिता और मिलते सजन।
एक घर मे पली दूसरे घर खिली,
बेटियाँ भोली मासूम सी तितलियाँ।
कोख में मारना मत कभी बेटियाँ……

आओ खायें कसम आज मिलकर सभी
इनको मरने न देंगे अजन्में कभी।
जब पढ़ेंगी तो पाँवों पे होंगीं खड़ी,
मान भी बेटियों का बढ़ेगा तभी।
अपने बच्चों में डालेंगी संस्कार जब,
खत्म अंतर की होंगी सभी दूरियाँ।
कोख में मारना मत कभी बेटियाँ……..

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

15-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 785 Views
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