कोई
बे-सबब दिल में बसा जा रहा है कोई
लगता है कुछ साजिश रचा रहा है कोई
मेरे कूचे में ही है आशियाना उसका
फिर भी छुपा छुपा सा जा रहा है कोई
कितना सरमाया सा लगता है चाँद
शायद चेहरे से पर्दा हटा रहा है कोई
मैखाने तो अब वीरान से हो गए है
अपनी आँखों से जाम पिला रहा है कोई